पहली बार मैंने असम के काज़ीरंगा में गैंडा देखा था।
ना किसी डॉक्यूमेंट्री में, ना किसी किताब में।
सीधे अपनी आँखों से।
जीप उछलती हुई चल रही थी, गाइड धीरे से बोला – “उधर देखो, लम्बी घास के पास।”
और सामने खड़ा था वो… भारी-भरकम, जैसे किसी पुराने ज़माने का जीव।
लेकिन आँखों में अजीब-सी मासूमियत।
सोचकर गुस्सा आता है कि लोग इन्हें सिर्फ उस एक सींग के लिए मार देते हैं। जबकि सच तो ये है – वो सींग बस केराटिन है, वही चीज़ जिससे हमारे नाखून बने होते हैं। लेकिन लालच? उसे फर्क नहीं पड़ता।
गाँव वाले जो बने रखवाले
सच्चाई ये है कि गैंडे सिर्फ फॉरेस्ट गार्ड या एनजीओ नहीं बचा रहे।
गाँव वाले भी खड़े हैं मोर्चे पर।
चाय बगान में काम करने वाले किसान से लेकर स्कूल के मास्टर तक – सब।
मैंने एक शख़्स, रमेश, से मुलाक़ात की थी। उसने कहा – “पहले लोग शिकारियों की मदद करते थे पैसों के लिए। अब हम ही खबर देते हैं।”
सोचिए, कैसी बड़ी सोच की जीत है ये।
गार्ड की रातें 🌙
लोग सोचते हैं फॉरेस्ट गार्ड मतलब – वर्दी, डंडा, दूरबीन।
असलियत?
रात-भर जागना।
दूर से गोली की आवाज़ सुनना।
कभी-कभी हथियारबंद गिरोह से भिड़ना।
एक गार्ड ने कहा – “अगर गाँव वाले साथ न हों, तो हम गैंडे नहीं बचा सकते। सबसे पहले वही आवाज़ सुनते हैं।”
उस पल लगा – ये लड़ाई सिर्फ जंगल की नहीं, लोगों की भी है।
क्यों है प्रोजेक्ट राइनो अलग?
बड़ी-बड़ी योजनाएँ होती हैं, जिनके नाम में बड़े शब्द होते हैं – सस्टेनेबल, इनक्लूसिव, वगैरह।
लेकिन प्रोजेक्ट राइनो अलग है।
ये ज़मीन से जुड़ा है।
बच्चों के लिए फुटबॉल टूर्नामेंट कराना, चाय की दुकानों की दीवारों पर नीले रंग का गैंडा बनाना – यही असली जागरूकता है।
किताबों से ज्यादा असरदार।
बड़ा सवाल 🤔
कभी सोचा है – जब किसी गाँव वाले के घर में खाने की दिक्कत हो, तो वो गैंडे के बारे में क्यों सोचेगा?
जवाब है – गर्व।
उनके लिए गैंडा कोई “सरकारी जानवर” नहीं है।
वो उनकी मिट्टी का हिस्सा है। असम की पहचान है।
अगर गैंडा खो गया, तो कहानी अधूरी रह जाएगी।
आख़िरी बात
गैंडे बचाने की लड़ाई किसी किताब का “वाइल्डलाइफ़ प्रोजेक्ट” नहीं है।
ये है इंसानों की हिम्मत की कहानी।
एक गाँव वाला फोन उठाकर गार्ड को खबर दे देता है।
एक गार्ड पूरी रात जागता है।
एक बच्चा स्कूल की कॉपी में गैंडे की तस्वीर बनाता है और सोचता है – “बड़ा होकर मैं इसे बचाऊँगा।”
यही है प्रोजेक्ट राइनो।
कागज़ों पर नहीं, दिलों में धड़कता हुआ।
जब तक लोग साथ हैं, तब तक घास के झुरमुट में वो एक-सींग वाला दानव जिंदा रहेगा। 🦏